Friday, January 22, 2021

चतुर्गुणित जाप

सनातन धर्म में कलियुग को चतुर्थ युग माना गया है। अत: कलियुग में किसी भी ग्रह के निश्चित जाप संख्या के 4 गुना जाप अर्थात चतुर्गुणित जाप को ही संपूर्ण व श्रेष्ठ माना जाता है। कलियुग में अनिष्ट ग्रहों के 4 चरण करवाना श्रेयस्कर रहता है किंतु इसे आवश्यकतानुसार 1, 2 अथवा 3 चरणों में विभाजित कर भी कराया जाता है किंतु यदि जाप चरणबद्ध तरीके से होते हैं तो प्रत्येक चरण की समाप्ति के पश्चात पूर्णाहुति हवन करवाना आवश्यक होता है।


आइए जानते हैं कि नवग्रहों की शांति के लिए कितनी संख्या में जाप कराना लाभदायक होता है।

1. सूर्य- 7000 जाप प्रति चरण

2. चंद्र- 11000 जाप प्रति चरण

3. मंगल- 10000 जाप प्रति चरण

4. बुध- 9000 जाप प्रति चरण

5. गुरु- 19000 जाप प्रति चरण

6. शुक्र-16000 जाप प्रति चरण

7. शनि- 23000 जाप प्रति चरण

8. राहु- 18000 जाप प्रति चरण

9. केतु- 17000 जाप प्रति चरण। 

किस मंत्र से कराएं अनिष्ट ग्रहों के जाप:

अनिष्ट ग्रहों के शांति-विधान में निर्धारित जाप संख्या के साथ ही उचित मंत्र की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शास्त्रानुसार अनिष्ट ग्रहों का शांति अनुष्ठान बीज मंत्र व तांत्रिक मंत्र दोनों में से किसी भी एक के द्वारा संपन्न कराया जा सकता है। वर्तमान समय बीज मंत्र से जाप अनुष्ठान का प्रचलन अधिक है।

आइए जानते हैं कि नवग्रहों के बीज एवं तांत्रिक मंत्र कौन से हैं : -

1. सूर्य- ॐ घृणि: सूर्याय नम: (बीज मंत्र), ॐ ह्राँ ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: (तांत्रिक मंत्र)

2. चंद्र- ॐ सों सोमाय नम: (बीज मंत्र), ॐ श्रां श्रीं श्रौं चंद्रमसे नम: (तांत्रिक मंत्र)

3. मंगल- ॐ अं अंगारकाय नम: (बीज मंत्र), ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: (तांत्रिक मंत्र)

4. बुध- ॐ बुं बुधाय नम: (बीज मंत्र), ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: (तांत्रिक मंत्र)

5. गुरु- ॐ बृं बृहस्पतये नम: (बीज मंत्र), ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम: (तांत्रिक मंत्र)

6. शुक्र- ॐ शुं शुक्राय नम: (बीज मंत्र), ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: (तांत्रिक मंत्र)

7. शनि- ॐ शं शनैश्चराय नम: (बीज मंत्र), ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: (तांत्रिक मंत्र)

8. राहु- ॐ रां राहवे नम: (बीज मंत्र), ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: (तांत्रिक मंत्र)

9. केतु- ॐ कें केतवे नम: (बीज मंत्र), ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम: (तांत्रिक मंत्र) 

Saturday, January 9, 2021

यज्ञोपवीत में तीन लड़, नौ तार और 96 चौवे ही क्यों ?


यज्ञोपवीत के तीन लड़, सृष्टि के समस्त पहलुओं में व्याप्त त्रिविध धर्मों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं। तैत्तिरीय संहिता 6, 3, 10, 5 के अनुसार तीन लड़ों से तीन ऋणों का बोध होता है। ब्रह्मचर्य से ऋषिऋण, यज्ञ से देवऋण और प्रजापालन से पितृऋण चुकाया जाता है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश यज्ञोपवीतधारी द्विज की उपासना से प्रसन्न होते हैं। त्रिगुणात्मक तीन लड़ बल, वीर्य और ओज को बढ़ाने वाले हैं, वेदत्रयी, ऋक, यजु, साम की रक्षा करती हैं। सत, रज व तम तीन गुणों की सगुणात्मक वृद्धि करते हैं। यह तीनों लोकों के यश की प्रतीक हैं। माता, पिता और आचार्य के प्रति समर्पण, कर्तव्यपालन, कर्तव्यनिष्ठा की बोधक हैं।


सामवेदीय छान्दोग्यसूत्र में लिखा है-ब्रह्माजी ने तीन वेदों से तीन लड़ों का सूत्र बनाया विष्णु ने ज्ञान, कर्म, उपासना इन तीनों कांडों से तिगुना किया और शिवजी ने गायत्री से अभिमंत्रित कर उसमें ब्रह्म गांठ लगा दी। इस प्रकार यज्ञोपवीत नौ तार और ग्रंथियां समेत बनकर तैयार हुआ। यज्ञोपवीत के नौ सूत्रों में नौ देवता वास करते हैं-1. ओंकार-ब्रह्म, 2. अग्नि - तेज, 3. अनंत-धैर्य, 4. चंद्र-शीतल प्रकाश, 5. पितृगण-स्नेह, 6. प्रजापति-प्रजापालन, 7. वायु-स्वच्छता 8. सूर्य-प्रताप, 9. सब देवता- समदर्शन। इन नौ देवताओं के, नौ गुणों को धारण करना भी नौ तार का अभिप्राय है। यज्ञोपवीत धारण करने वाले को देवताओं के नौ गुण-ब्रह्म, परायणता, तेजस्विता, धैर्य, नम्रता, दया, परोपकार, स्वच्छता और शक्ति संपन्नता को निरंतर अपनाने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।


यज्ञोपवीत के नौ धागे नौ सद्गुणों के प्रतीक भी माने जाते हैं। ये हृदय में प्रेम, वाणी में माधुर्य, व्यवहार में सरलता, नारी मात्र के प्रति पवित्र भावना, कर्म में कला और सौंदर्य की अभिव्यक्ति, सबके प्रति उदारता और सेवा भावना, शिष्टाचार और अनुशासन, स्वाध्याय एवं सत्संग, स्वच्छता, व्यवस्था और निरालस्यता माने गए हैं, जिन्हें अपनाने का निरंतर प्रयत्न करना चाहिए। वेद और गायत्री के अभिमत को स्वीकार करना और यज्ञोपवीत पहनकर ही गायत्री मंत्र का जाप करना।


 96 चौवे (चप्पे) लगाने का अभिप्राय है, क्योंकि गायत्री मंत्र में 24 अक्षर हैं और वेद 4 हैं। इस प्रकार चारों वेदों के गायत्री मंत्रों के कुल गुणनफल 96 अक्षर आते हैं। सामवेदी छान्दोग्य के तिथि 15, वार 7, नक्षत्र 27, तत्त्व 25, वेद 4, गुण 3, काल सूत्र मतानुसार 3, मास 12 इन सबका जोड़ 96 होता है। ब्रह्म पुरुष के शरीर में सूत्रात्मा प्राण का 96 वस्तु कंधे से कटि पर्यंत यज्ञोपवीत पड़ा हुआ है, ऐसा भाव यज्ञोपवीत धारण करने वाले को मन में रखना चाहिए।

दुःख से बाहर कैसे निकलें?- २

दुःख शब्द व्यक्ति की उस स्थिति को बोधित करता है जिसमें वह अपने से बाहर निकलने की स्थिति में न हो।दुः निम्न या निकृष्ट का वाचक है। ख स्थान का वाचक है जहाँ से निकलने के लिए बाह्य पुण्य बल की आवश्यकता होती है।खम् आकाश को कहते हैं।सु शोभन स्थान को प्राप्त करना सुख है।

वेद, आयुर्वेद, ज्योतिष, धर्मशास्त्र,पुराण,रत्नशास्त्र, संहिताग्रंथ सभीके सभी एकस्वर से कहते हैं-- रोग,दुःख, भय, बाधा,कष्ट सभी पाप(दुष्कृत) से उत्पन्न होते हैं।यदि व्यक्ति पाप न करे तो उसे दुःख और रोग हो ही नहीं। इसी अवधारणा से रोगों,दुःखों की चिकित्सा की जाती है।

यदि रोग न हों तो औषधि का महत्त्व ही समाप्त हो जाये--आमयो नैव सृष्टश्चेद् औषधस्य वृथोदयः(उपनिषद)

केवल रोग को औषध नष्ट कर देता है पर रोग और भय दोनों एक साथ मिले हों तो औषध और मन्त्र दोनों का प्रयोग करना चाहिए--

सदौषधै:यान्ति गदो विनाशं यथान्यथा दुःखभयानि मन्त्रै:।

स्मृतियों में वचन है कि औषध, दान,जप,होम,देव पूजा इन पांच प्रकारों से रोग और भय का नाश होता है --

तत्छान्तिरौषधैर्दानैः जपहोमसुरार्चनै:।

योगाभ्यास बल से भी दुःख और भय का विनाश होता है।मूल रूप से योग पाप को जलाता है।पाप नष्ट होने से रोग भय नष्ट हो जाते हैं ----

योगाभ्यास-बलेनैव नश्येयु: पातकानि तु।

तस्माद्योगपरो भूत्वा ध्यायेनित्यं क्रियापर:।।हारीत१/३।

वैदिकी मान्यता की घोषणा

अश्व के बिना रथ नहीं चलेगा, रथी के बिना अश्व मार्ग पर नहीं चलेगा इसीतरह विद्या और तप संयुक्त होकर भैषज्य

प्रभावशाली बनता है---

यथा रथोश्व हीनस्तु यथाश्वो रथिहीनकः।

एवं  तपश्च  विद्या  च संयुतं भैषजं भवेत् ।।हारीत ९।

आयुर्वेद आत्मा,मन,शरीर तीनों को स्वस्थ्य रहने पर ही व्यक्ति को पूर्ण स्वस्थ्य मानता है-चरक १/४६ ।

अतः दुःख, भय, रोग, बाधा को ठीक करने हेतु व्यापक प्रयास करना चाहिए।

शारीरिक रोग-दुख:

१-- शरीर में विद्यमान कालपुरुष को पीड़ित देख कर किस अंग में किस तरह का रोग कब उत्पन्न होगा इसका पूर्व अनुमान होता है।यह नब्बे प्रतिशत से भी अधिक फलीभूत होता है।

२-- गर्भज रोग दुःख -- कभी कभी गर्भ में आते ही जीव को रोग हो जाता है। हृदय में छेद, किसी अंग का पूर्ण विकसित न होना।गर्भाशय का न होना या एक ही किडनी का होना,गर्भ में ही घाव होना आदि।

३-- संसर्गज रोग दुःख --- शरीर का किसी बाहरी चीज से स्पर्शित होकर रोग ग्रस्त होना संसर्गज रोग में आता है।

४-- आभ्यन्तरिक रोग --- शरीर के भीतर अपने आप रोग का उत्पन्न होना और बढ़ कर मृत्यु मुखमें ले जाना।कैंसर, हेपटाइटिस,ट्यूमर आदि इसी श्रेणी में आते हैं।

५-- बाह्याघात रोग-कष्ट --- शरीर पर बाहर से सांघातिक चोट पहुँचना और मर्म का भेदित हो जाना।

६-- शापज रोग --- किसी व्यक्ति द्वारा गहन शब्द प्रहार जो शाप से रोग बनकर शरीर को गला दे।

७-- आभिचारिक रोग --- मन्त्र-यन्त्र-तन्त्र के लगातार प्रयोग से शरीर के भीतर अंगों का निष्क्रिय होना शुरू हो जाता है।इसमें दुःस्वप्न अवश्य आता है।किसी के अदृश्य रूप से पास में होने का आभास होने लगता है।

शारीरिक रोग लज्जित,भ्रमितऔर व्यथित करते हैं। कुष्ठरोग मनको ग्लानि से भर देताहै। गुप्त इन्द्रिय का रोग लज्जित करता है।अशक्तता व्यथित करती है।

प्रमेह रोग अनेक रोगों का जनक होता है।यह व्यभिचार और हत्या आदि पातकों से उत्पन्न होता है। महापाप से महारोग, पाप से मध्यम रोग और उपपातक से साधारण रोगों की उत्पत्ति होती है। ब्रह्महत्या से कुष्ठ रोग होता है जो सूर्यदेव की आराधना और गायत्री जप होम से औषध बल से ठीक होता है।

अचानक दृष्टि चली जाए तो स्वर्ण की नौका पर विष्णु की स्वर्ण प्रतिमा रख कर पूजन कर दान देने से भैषज्य काम करता है।

मूक-बधिर दोष को दूर करने के लिए चान्द्रायण व्रत कर या करा के स्वर्ण के फल और पुस्तक को दान में दिया जाता है।

मांस के रोग में वृषभ दान किया जाता है।यह चांदी का भी बनवा कर किया जा सकता है।

जिह्वा रोग होने पर मधु दान किया जाता है।

एक अति विशिष्ट औषधि:

जब सभी उपाय व्यर्थ हो जायेंतो सवा लाख महामृत्युंजय मन्त्र का पुरश्चरण कराना चाहिए।यदि इससे तनिक भी लाभ मिलना आरम्भ हो तो पुनः द्वितीय पुरश्चरण करना चाहिए।इस प्रकार से जीवन रक्षा के लिए चार पुरश्चरण किये जाते हैं।

डिंडिम घोष: यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन ग्यारह आहुति से दूर्वा द्वारा महामृत्युंजय मंत्र से गो घृत द्वारा हवन करता है तो वह निरोग होकर शतायु को प्राप्त करता है।मृत्यु उसके निकट जाने से डरती है।

जो मृत्यु को भय ग्रस्त कर दे वह मन्त्र महामृत्युंजय है।

अपनी कुंडली से कालपुरुष की स्थापना को देख कर रोग और उसकी अवधि का सटीक अनुमान लगा कर जो ग्रह,विनायक और महामृत्युंजय का अनुष्ठान करता कराता है वह रोग मुक्त रह कर सफल जीवन जीता है। आराधना न केवल रोग और भय को दूर करती है बल्कि जीवन में समृद्धि और धर्म को लाती है।

          शरीर को व्याधि मन्दिर कहा गया है।अतः इसे केवल व्यायाम,आसन और टहल कर ठीक रखने से काम नहीं चलेगा बल्कि चोट और विषाणु( वायरस )से बचाने के लिए मन्त्र बल से बचाना पड़ता है।

         शरीर के रहने से ही वर्तमान जीवन की चेतना उन्नति को प्राप्त करती है। मृत्यु होते ही यह चेतना लुप्त हो जाती है और अगला जीवन नई समस्या लेकर आता है। अतः जीवन के सातत्य को बनाये रखने के लिए स्वस्थ्य शरीर को बनाये रखना पड़ता है। पुष्ट शरीर से तप की कठोरता को बर्दाश्त करने की क्षमता मिलती है।इसी से नया विधान बनता है जो अगले जीवन को परिष्कृत करता है।

  साभार: डॉ कामेश्वर उपाध्याय

अखिल भारतीय विद्वत्परिषद

Tuesday, January 5, 2021

मुहूर्त



 किसी भी प्रकार के मंगल कार्य करने के लिए सबसे पहले मुहूर्त और चौघड़िया देखा जाता है। 

आज कल लोग शुभघड़ी को मुहूर्त कहने लगे हैं। 

दिन व रात मिलाकर 24 घंटे के समय में, दिन में 15 व रात्रि में 15 मुहूर्त मिलाकर कुल 30 मुहूर्त होते हैं अर्थात् एक मुहूर्त 48 मिनट (2 घटी) का होता है।


मुहूर्त का नाम   समय प्रारंभ  समय समाप्त

    रुद्र               06.00.       06.48

    आहि            06.48        07.36

    मित्र              07.36        08.24

    पितृ              08.24        09.12

    वसु               09.12        10.00

    वराह            10.00         10.48

    विश्‍वेदेवा       10.48         11.36

    विधि            11.36         12.24

    सप्तमुखी      12.24         13.12

    पुरुहूत           13.12         14.00

    वाहिनी          14.00        14.48

    नक्तनकरा       14.48        15.36

    वरुण             15:36        16:24

    अर्यमा            16:24        17:12

    भग                17:12        18:00

    गिरीश             18:00       18:48

    अजपाद           18:48      19:36

    अहिर बुध्न्य      19:36       20:24

    पुष्य                20:24      21:12

    अश्विनी            21:12      22:00

    यम                 22:00      22:48

    अग्नि              22:48      23:36

    विधातॄ             23:36       24:24

    कण्ड              24:24       01:12

    अदिति            01:12        02:00

    जीव/अमृत.      02:00      02:48

    विष्णु               02:48       03:36

    युमिगद्युति.        03:36      04:24

    ब्रह्म                  04:24      05:12

    समुद्रम             05:12        06:00


दैनिक मुहूर्त निकालते समय अपने शहर के सूर्योदय से ही गणना करनी चाहिए।


मुहूर्त संबंधित ग्रंथ 

〰️〰️🔸〰️〰️

मुहूर्त संबंधित कई ग्रंथ हैं जो वेद, स्मृति आदि धर्मग्रंथों पर आधारित है। ये ग्रंथ है- मुहूर्त मार्तण्ड, मुहूर्त गणपति मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त पारिजात, धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु आदि। शुभ मुहूर्त जानते वक्त तिथि, वार, नक्षत्र, पक्ष, अयन, चौघड़ियां और लग्न आदि का भी ध्यान रखा जाता है।


कौन-सा 'समय' सर्वश्रेष्ठ होता है

〰️〰️🔸〰️〰️〰️🔸〰️〰️

किसी भी कार्य का प्रारंभ करने के लिए शुभ लग्न और मुहूर्त को देखा जाता है। जानिए वह कौन-सा वार, तिथि, माह, वर्ष लग्न, मुहूर्त आदि शुभ है जिसमें मंगल कार्यों की शुरुआत की जाती है।


श्रेष्ठ दिन :

〰️〰️〰️

दिन और रात में दिन श्रेष्ठ है।


श्रेष्ठ मुहूर्त :

〰️〰️〰️

दिन-रात के 30 मुहूर्तों में ब्रह्म मुहूर्त ही श्रेष्ठ है।


श्रेष्ठ वार :

〰️〰️〰️

सात वारों में रवि, मंगल और गुरु श्रेष्ठ है।


चौघड़िया :

〰️〰️〰️

शुभ चौघड़िया श्रेष्ठ है जिसका स्वामी गुरु है। अमृत का चंद्रमा और लाभ का बुध है।


श्रेष्ठ पक्ष :

〰️〰️〰️ 

कृष्ण और शुक्ल पक्षों के दो मास में शुक्ल पक्ष श्रेष्ठ है।


श्रेष्ठ एकादशी :

〰️〰️〰️〰️

प्रत्येक वर्ष चौबीस और अधिकमास हो तो 26 एकादशियां होती हैं। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशियों को श्रेष्ठ माना है। उनमें भी इसमें कार्तिक मास की देव प्रबोधिनी एकादशी श्रेष्ठ है।


श्रेष्ठ माह :

〰️〰️〰️

मासों में चैत्र, वैशाख, कार्तिक, ज्येष्ठ, श्रावण, अश्विनी, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन श्रेष्ठ माने गए हैं उनमें भी चैत्र और कार्तिक सर्वश्रेष्ठ है।


श्रेष्ठ पंचमी :

〰️〰️〰️ 

प्रत्येक माह में पंचमी आती है उसमें माघ माह के शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी श्रेष्ठ है।


श्रेष्ठ अयन :

〰️〰️〰️

दक्षिणायन और उत्तरायण मिलाकर एक वर्ष माना गया है। इसमें उत्तरायण श्रेष्ठ है।


श्रेष्ठ संक्रांति :

〰️〰️〰️〰️

सूर्य की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति ही श्रेष्ठ है।


श्रेष्ठ ऋ‍तु :

〰️〰️〰️

 छह ऋतुओं में वसंत और शरद ऋतु ही श्रेष्ठ है।


श्रेष्ठ नक्षत्र :

〰️〰️〰️

नक्षत्र 27 होते हैं उनमें कार्तिक मास में पड़ने वाला पुष्य नक्षत्र श्रेष्ठ है। इसके अलावा अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, श्रावण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, रेवती नक्षत्र शुभ माने गए हैं।


Thursday, November 1, 2018

Relationship Issues: Short out your issues with loved one’s with the help of astrology.


Now days we often feel very disturbed in our relationship. We work hard to have a healthy and happy relationship with our partner, friend or siblings. However our all efforts go waste and things become so complicated between us. These all occur due to difference in nature, behaviour & personality. You are not alone in this world who face such a hard time in relationships.  With the help of astrology you can make your relationship joyful and unforgettable without face so much trouble and conflicts. 
We all are aware of Zodiac signs and it’s compatibility with other one. Today I will tell you how to find your most compatible sign and also give you tips how to make you relationship fruitful and filled with joy. Let’s go through one by one zodiac sign. 
Aries:
Aries is fiery by nature the most impatient sign of Zodiac Belt. They get short tempered very soon and retaliate quickly randomly. Arians are spontaneous and adventures in nature. They enjoy learning new things and getting opportunities. They easily get bore without movement in this life and hate stagnancy. They love and live for change and excitement and gets bored easily too. If things go into their routine or daily tasks then they probably gets bored by that. These guys want the quick response of anything and want to get noticed by others. They need to practice maximum patience and be calm by nature to be live happy love life. They should also need to learn how to balance between things or situations.
Taurus:
Taurus is second in sequence and earthy sign by nature and taureans are extremely stubborn and set in their own ways always. They are not flexible and want things to happen according to their terms & conditions. They quit very easily if they don’t find stability and romance in any relationship. They need to learn flexibility and try to be open minded in love relations. They act very slow take time to decide right and wrong for them and get stuck over anything for a longer period of time. It also seems that they invest on love relations for future purposes. Their stubbornness can be blessings as well as challenge in few occasions.

Gemini:
As Gemini is number 3rd sign in zodiac circle and is dual by nature, Geminians are belonging to dual nature. They always swing between yes and no they are also not very firm on their stands. Due to this, they need somebody who can cope up with them day to day tasks. They get bored very frequently, that’s the thing which you should keep in mind while choosing your partner. Geminians mostly seems like a robotic by nature, and as a result, they are seen to deal their emotions mechanically. Others become judgemental very soon for them due to their activities and nature. Sometimes because of this, your partner or other people around them feel that they as a cold and distant. They should apply serious efforts to maintain their emotional intelligence healthy, if you wish to have a happy relationship.
Cancer:
Natives of Cancer sign are more sensitive and emotional person. They care for their partner and loved ones. Safety and nurturing the relationship is utmost priority in relationship for Cancerians. They are very perfect to express their feelings before your partner. Likewise everything goes right from their end. Even after, when the time comes, they may be wrong for that someone, the reason for this to being their overly sensitive nature; which can’t be handled by everyone and he or she feels so much suffocation and imprisonments in relations and feel difficulty to enjoy relationship. Relationship is all about learning process and you need to deliver a lot of love before you loved one or partner. You should give freedom and liberty to others so that they can also enjoy.   
Leo:
Leo born natives are very passionate in relationship and having intense personality. They always want to dominate their partner and want things happen according to them. They present themselves as a leader and winners in every situation; this is their quality. They know how to manage things according to their comfort. Such guys want very exciting and passionate partner in love matters and have very much expectations from her or him. They get short tempered and feel very uneasy when others don’t fulfil their expectations. They should keep in mind that no one can be intense every day.  They will have to understand this very clearly and don’t expect same excitement and passion from their partner every day.

Virgo:
Virgo born natives are always like to be on the ground of reality and deals things practically. You like to be a perfectionist and want same from his partner. It is a good quality, but sometimes, things may go difficult and become worst when things don’t go as per their expectation. It pushes such guys into deep anxiety and worry. Sometimes, they overanalyze things and find mistake in themselves too, this behaviour may not go well in your relationship matters as they analyze thoroughly every aspects of their partner and also they highlight the flaws of their partner a lot, which can be the area of concern for them. Such guys should be little bit flexible and chill in every aspects of life. No one is perfect in this world, we should accept others with their weakness and try to help her or him to get the rid of his weakness and turn it into his or him strength.  
Libra:
Libra born natives always pay a lot of attention on relationship than any others. Librans are well known for balancing things. They always see on both aspects of the coin, hence they face some difficulty in making right decisions in their relationship. They always hang between right or wrong; shall I do it or not. This is their main problem. Such guys’ thinks a lot before making any decision. You always see your replica in your partner and want all your qualities within her or him. Sometimes, Librans start throwing everything in the air, when they don’t find new but this is not very to take relationships for a long way. They know how to balance out things in an appropriate manner and apply it into practical to avoid issues in relationship.
Scorpio:
Most mysterious sign in the zodiac belt is Scorpio. Others fail most of the time to judge them. Such guys don’t trust others very easily but once they start doing trust they have blind faith on others and this indulge them in to problems several times. Such guys shouldn’t open up their secrets with others. They love somebody with full dedication without any condition and deserve for it. They should be more open in relationship and start trusting others. If they fail to learn this it’s quite possible they may lose their soul mates. So they should learn it as early as possible.
Sagittarius:
Sagittarians like freedom and be open. Because it is a fiery sign such guys becomes selfish in some occasions. They are very adventurous by nature and have several varieties in relationships. Though freedom is important for them, so they should learn to identify their partner’s likes and dislikes. Love is the name of scarification not demand. It doesn’t have any condition. They should try to balance between freedom and responsibilities. True love is always unconditional. They should avoid thinking about themselves in every aspect of life.
Capricorn:
Capricornians always keep very positive and stable approach towards their relationship with others and try to put this approach with their partners also. But you also have a little bit dominating approach; but somehow it turns into a bitter and unforgettable experience. They should try to understand love can’t be long lasting in dictatorship attitude. They should also have to learn feelings and emotions of their loved one’s. They should be broad minded and give some space to their partner in order to feel them comfortable. They should give them equal treatment in relationship and allow them to enjoy it. Their partners also deserve it.
Aquarius:
Aquarians are made for partnership and friendship. They can do anything to prove themselves a good friend and a good lover. They believe in team up and cooperation with their partner instead of thinking like any collaboration in business and what benefits and outcomes can be. They don’t mind any special relationship over a casual one, but they also don’t feel like stick to one, reason being they want to pull away themselves without any explanation from any relationship because sometimes they feel very frustrated and take some wrong decisions. They need to learn how to pay attention to their loved one’s and also need to take care of their needs as well to sustain or to live happy and healthy relationship.
Pisces:
Being the watery sign of the zodiac Pisces born natives like to be daydreamers. Pisceans need to be connected to root and need to live in a real world. Day dreaming is looks good in fantasy not in practical life. If they want to fix their relationship issues, they need to come back to reality rather than thinking about something which does not exist. Pisceans are needed to stay grounded and avoid doing any stupid activity which may cause trouble in relationships. They should always ready to face reality of life.

Friday, October 12, 2018

How an astrologer can inspire a native to walk on the righteous path which is decided for him according to astrology?

A native come to an astrologer for his reading to get the rid of his struggle, bad fortune, bad time and many more problems. We, as an astrologer have to do some predictions while reading his horoscope. Prediction is very essential part of astrology no one can ignore it. 

But we should also tell him some remedies and secrets so that he starts to putting efforts to nullify his previous deeds. After all until unless his previous sins will remain his won't get permanent solution of his problems. Horoscope gives us clear signal what to do and not to do. Every horoscope has some sensitive points which can help us to determine righteous path for a native. 

Some times we see a native is very righteous in all manners and doing remedies and other things prescribed by Astrologer, but still he is suffering and not getting relief. Our scriptures has suggested to perform rituals of Punyah Vachan and Prayashichit under guidance of very satwik and noble aacharyas. Because some previous bad deeds need some special remedies to dissolve. 

We should also do a litmus test of Aacharya who is performing such rituals. because if his doesn't has sufficient power (strong Aura) how will he able to clean you negativity.

Friday, October 5, 2018

Retrograde Venus and It’s impact on Us



Venus, the planet of love, beauty, harmony and compassion, going into retrograde motion on 5th October 2018 to 16th November 2018. This six-week period can be a very tricky and full dilemma for relationships. If a bonding between couple’s is not built of concrete foundation, they will experience turbulence and jerks. This period will also give them an opportunity to go back and do the necessary work. People will see who’s willing to put in that investment and who only shows up when things are good, fun and easy. Over all this period is going to be Eye-opening for them who are in day dream!

On a positive side, retrograde period of Venus could bring a refreshing pause (comma) for a short duration to the dramatic scripts of our love stories, it will help us to go back and regain perspective. It will also give us an opportunity to do self analysis “are we really finding ourselves into suitable romantic role?” And if not, what can we do to redo or change a less-than-stimulating plot line?

Whenever a planet goes retrograde, it gives us signal to turn inward first: retest and realign our motives, sculpt our hidden desires, even it also exhume few past demons with whom we haven’t fully dealt yet. It gives us a chance to redo, rethink, recollect, reconcile, revive, reunite, repair and restore.

Retrograde Venus give us lens to check people’s intentions and reality, rather than with rose-coloured filters. That can be strife at first. But is your chief complaint a deal breaker or is there something to learn here by addressing those issues together? A wise therapist we know once said, “It’s not that successful couples don’t have conflict, because they do. It’s how they work through it that determines the strength of their relationship.”

Now let us go though how retrograde Venus would impact your sign specifically and know how to navigate it with grace and finesse.

ARIES

A long-lost love could resurface again in your life, but it’s time may not be right? Single guys should use this period to really think about what expectations they have from their partners or loved one. If any friend or relative is taking up the huge share of your time and energy, the your should try to put a little bit more space in the relationship and reserving that room for a romantic relationship instead.

TAURUS

This is going to be testing time for partnerships and partners to get an overhaul or at least, a short span of duration under the microscope. You could struggle to feel in sync with others, or might finally bring up a sticking point. You should be proactive and solution-oriented instead of just complaining or blaming for situations or people. Resolve old conflicts and seek closure with an ex. You may watch for a self-critical or controlling streak during November. The planet of beauty sounds the call for self-care, nurturing your body and spirit will be the best retrograde remedy. Revamp your beauty and skincare, as well as your diet, switching to natural and organic options.

GEMINI

Retrograde Venus could incite stress fuelled body image issues or remind you to get back in touch with the “temple for your soul” by nourishing yourself and moving regularly. You should try to find healthy outlets like affirmations, gentle yoga for channelling frustration and book those overdue bodywork appointments. Even a quick massage for very short period could also be a game-changer for you. You should monitor your tendency to micromanage and nitpick your dear one, and steer clear of those fixer-upper types who always want advice but never have much to give in return.

CANCER

Venus in your hot-headed and hot-blooded sector during October makes you loose cannon ready to fire. Your ex-boy friend or girl friend may contact you. I would like to advise you to proceed with caution to avoid messy entanglements. During November there could be something which may try to disrupt harmony with relatives, roommates or your living situation. If you’re going to renovating or redecorating, collect fabric and paint swatches and start a few pinterest boards, you should stay in the planning phases to avoid a costly design misstep.

LEO

There may be some heat during October, as a cranky Venus camps in your house of efforts and siblings. You may face some issues with a female, perhaps some mama drama or sibling rivalry. Double down on the self-care and affirming mantras, as your moods could swing wildly. During November tension with a sibling, neighbour or friend could disrupt your groove. If you can’t say something nice, bite your tongue.

VIRGO

Playing devil’s advocate is a dangerous game while Venus reverses through your wealth, communication and family house during October. You should choose your words carefully before delivering. You may face some struggle related to money and profession during November. I won’t suggest you to borrow or taking any type of loan from any friends or loved one. If you are planning about splurging on a luxury item for your home or wardrobe or any new vehicle, you should postpone until the retrograde over.

LIBRA

You may entangle in an arguments about money which could erupt you during October. Some misunderstandings may raise head with co-workers or clients. You should lock up minimise expenses through credit cards, impulse purchases could lead to buyer’s remorse, as your normally spot-on style and taste could miss the mark. You could feel yourself in misunderstood and confused state and may need to some loneliness for a while. You should fly solo and carve out more time for self. You can use this period to reflect on what are your expectations from your loved one and friends.

SCORPIO

This is very suitable time to take a short break. You need to reconnect with yourself during this backspin period of Venus If you’re not feeling beautiful, desirable or magnetic, get really clear about what’s blocking that, and you should change your focus. A swoons worthy (but questionably trustworthy) type could sweep you to la-la land as Venus visits your fantasy house. Is this person really a wolf in dream-lover’s clothing? Slow down to avoid finding out the hard way. If you’ve been holding onto a grudge or resentment do the tough but necessary work of clearing that up. Forgiveness is not only divine; it will set you free from the painful grips of the past.

SAGITTARIUS

Wherever you go, there you are. Venus is in your 11th house of gain and friendships. Clean up your own romantic backyard instead of projecting blame on a mate or looking for the Holy Grail of lovers. You should reduce your time on dating apps while Venus retrogrades through this technology-driven sector. Maybe go mingle and meet people in the flesh instead? On a positive note, this could be a great time to reunite with cherished old friends.

CAPRICORN

Your team could lose steam as Venus back spins through your group sector until April. Experimenting with an open relationship or online dating could also go awry, so tread (and swipe) lightly. Office politics can consume you during November. You should be very careful about mixing business and pleasure. An attraction to someone significantly older or younger than you could pull you into difficulties.

AQUARIUS

Retrograde Venus in your paternal zone, resolve childhood dynamics before they taint your current relationship. You may have reservations about the future and need to pause so you can assess whether you want the same thing (and if you don’t, to invent some new long-term goals). You should avoid an office romance which may create question mark in your social reputation and dignity. In November, you may have craving for freedom. You should honor your independent spirit but don’t trample someone’s needs in your quest for “space.”

PISCES

The world is usually your romantic oyster, but you may feel totally out of sync with new people until last of October, while retrograde Venus will make you risk-taking and cross-cultural connections. Committed guys could feel claustrophobic. If you are travelling, tread lightly with any vacation romances. In November, an ex-lover could resurface, tempting you into a taboo tryst. Feeling frumpy? Reconnect with your sensuality (think: massage, dancing, an undies-drawer revamp). Do the inner work to feel attractive again, instead of getting mixed up with a player.